केंद्र सरकार ने शनिवार को पूजा खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया. सरकार की ओर से यह कदम संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सरकारी सेवा में उनके चयन को रद्द करने के एक महीने बाद आया है. खेडकर को ओबीसी और दिव्यांगता कोटे का लाभ फर्जी तरीके से लेने का दोषी पाया गया है. यूपीएससी ने उनका चयन रद्द करने के बाद उन पर आजीवन प्रवेश परीक्षा देने पर भी रोक लगा दी थी. यूपीएससी ने उन्हें कई बार परीक्षा देने के लिए अपनी पहचान फर्जी बताने का दोषी पाया था.
दिल्ली हाईकोर्ट में है मामला
तीन दिन पहले दिल्ली उच्च न्यायालय को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने दलील दी थी कि महाराष्ट्र कैडर की प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने यूपीएससी परीक्षा के लिए दो अलग-अलग विकलांगता प्रमाण पत्र जमा किए थे. कथित तौर पर अहमदनगर जिला सिविल अस्पताल द्वारा 2022 और 2023 में ‘एकाधिक विकलांगता’ का हवाला देते हुए 2018 और 2021 के विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किए गए थे. हालांकि, दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल के अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने उसे ‘एकाधिक विकलांगता’ का दावा करने वाले प्रमाण पत्र जारी किए थे. विवाद के बीच, आईएएस के लिए उनका चयन जांच के दायरे में आ गया.
पूरे परिवार पर ही आरोप
जांच में पाया गया कि उसने ओबीसी उम्मीदवारों और विकलांग व्यक्तियों के लिए रियायती मानदंडों का लाभ उठाया था. फिर यह पता चला कि उसके पिता (जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी थे) के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति थी और वह गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थी. इस बीच, उनकी सरपंच मां मनोरमा खेडकर का किसानों को धमकाने के लिए बंदूक लहराने का वीडियो भी सामने आया था। बाद में मनोरमा को गिरफ्तार कर लिया गया था.