दिल्ली के आबकारी घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानि ED ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार किया है. ED ने संजय सिंह के दिल्ली वाले घर में बुधवार सुबह 7 बजे से छापा मारा था. यहां से कई दस्तावेज जब्त किए गए थे. लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने बुधवार शाम करीब 5:30 बजे संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया. आबकारी नीति केस की चार्जशीट में संजय सिंह का भी नाम है. इस केस में मनीष सिसोदिया फरवरी से ही जेल में हैं.
जनवरी में ED ने अपनी चार्जशीट में जोड़ा था संजय सिंह का नाम
इसी साल जनवरी में ED ने अपनी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम जोड़ा था. इसको लेकर संजय सिंह ने काफी हंगामा मचाया था. संजय सिंह ने दावा किया कि ईडी ने उनका नाम गलती से जोड़ दिया है. जिस पर ED ने जवाब दिया कि उनकी चार्जशीट में संजय सिंह का नाम चार जगह लिखा गया है. इनमें से तीन जगह नाम सही लिखा गया है. सिर्फ एक जगह टाइपिंग की गलती हो गई थी. जिसके बाद ED ने संजय सिंह को मीडिया में बयानबाजी न करने की सलाह दी थी, क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित है.
संजय सिंह पर हैं ये आरोप?
ED की चार्जशीट में संजय सिंह पर 82 लाख रुपये का चंदा लेने का जिक्र है. इसको लेकर ही ED ने बुधवार को उनके घर पर छापा मारा था. संजय सिंह की गिरफ्तारी पर दिल्ली सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का बयान सामने आया है. केजरीवाल ने कहा, “आम आदमी पार्टी कट्टर ईमानदार पार्टी है. हम जानते हैं कि ईमानदारी का रास्ता कठिन होता है. अगर बेईमान हो जाएं तो सारी समस्याएं ख़त्म हो जाएंगी. ये सब सिर से पैर तक भ्रष्टाचारी हैं, हमारी ईमानदारी का काउंटर नहीं है इनके पास.” उन्होंने कहा, “संजय सिंह केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ इस देश की सबसे बुलंद आवाज़ हैं. पहले संजय सिंह को सस्पेंड किया और अब गिरफ़्तार किया. इन्हें लग रहा है कि INDIA गठबंधन सफल रहा तो वे हारेंगे. यह बौखलाहट का नतीजा है. 2024 तक कई लोग गिरफ़्तार होंगे. संजय सिंह शेर है, मोदी जी को ग़लतफ़हमी है कि गिरफ़्तारी से हमें डरा देंगे.”
क्या है दिल्ली आबकारी नीति घोटाला?
दिल्ली में पुरानी आबकारी नीति के तहत L1 और L10 लाइसेंस रिटेल वेंडर को दिया जाता था. 17 नवंबर 2021 को शराब के लिए नई आबकारी नीति लागू होने तक 849 शराब की दुकानें थीं. इनमें से 60% दुकानें सरकारी और 40% निजी थीं.
नई नीति के तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया. नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था. हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं. इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था. हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई.
कमीशन के पैसों को चुनाव में खर्च करने का आरोप
उपराज्यपाल और दिल्ली के CM को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया. आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया. नई शराब नीति में तमाम खामियों के बाद चार महीन के भीतर ही नई शराब नीति को वापस ले लिया गया था.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से सीबीआई से इस मामले की जांच कराने की सिफारिश की गई थी. इसके बाद ही इस पॉलिसी को रद्द कर दिया गया था. इसके बाद ईडी ने धन शोधन रोकथाम कानून (PMLA Act)के तहत मामला दर्ज किया. ईडी मनीष सिसोदिया के केस की भी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है.