1991 में 20 साल के उम्र का एक लडके की मणिरत्नम के डायरेक्शन में एक फिल्म आई थी जिसका नाम था थलपति और 20 साल के अरविंद स्वामी ने इस फिल्म में एंट्री ली थी. इस फिल्म में उन्होंने महाभारत के अर्जुन से इंस्पायर्ड एक किरदार निभाया था. अरविंद को मणिरत्नम की दो बेहद सक्सेसफुल फिल्मों 1992 में रोजा और 1995 में बॉम्बे में बड़े लेवल पर पहचान मिली. इन फिल्मों ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक स्टार स्टेटस दिया. स्वामी की पॉपुलैरिटी और एक्टिंग स्किल्स को तब और तारीफ मिली जब उन्होंने 1997 में काजोल के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म मिनसारा कनवु में काम किया.
अगले साल उन्होंने जूही चावला के साथ ‘सात रंग के सपने’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया. उस समय उन्हें तमिल सिनेमा का उभरता हुआ सितारा माना जाता था. उन्हें रजनीकांत और कमल हासन के बाद कमान संभालने वाले एक एक्टर के तौर पर देखा जा रहा था. हालांकि उनके स्टारडम लंबे समय तक नहीं चल पाया.
1990 के दशक के आखिर में अरविंद स्वामी को अपने फिल्मी करियर में गिरावट का सामना करना पड़ा. उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रही थीं. कुछ फिल्में जिनमें उन्हें लीड रोल में रखा गया था उन्हें हटा दिया गया. इनमें ऐश्वर्या राय के साथ महेश भट्ट की फिल्म और अमिताभ बच्चन के साथ अनुपम खेर की एक फिल्म शामिल थी. इसके अलावा उनकी दो फिल्में प्रोडक्शन में ही लटकती रहीं. अपने करियर के इस डाउनफॉल से निराश होकर स्वामी ने साल 2000 के बाद फिल्मों में एक्टिंग करना बंद करने का फैसला किया. उन्होंने अपना ध्यान अपने पापा के बिजनेस को मैनेज करने में लगाने का फैसला लिया.
2005 में हुआ एक्सिडेंट
2005 में वह एक एक्सिडेंट का शिकार हो गए. इसकी वजह से उनका पैर पैरालाइज हो गया. करीब चार-पांच साल तक इलाज चला. इस सब में उन्होंने बहुत दर्द झेला. काम की बात करें तो भले ही फिल्म लाइन में झटका मिला हो लेकिन बिजनेस में एंट्री फायदेमंद रही. 2005 में एक्सिडेंट से पहले उन्होंने भारत में पेरोल प्रोसेसिंग और टेम्परेरी स्टाफिंग सर्विस देने वाली कंपनी टैलेंट मैक्सिमस की शुरुआत की. दिलचस्प बात यह है कि यह बिजनेस उनके जीवन का अब तक का सबसे सक्सेसफुल एक्सपेरिमेंट साबित हुआ. रॉकेटरीच जैसी अलग-अलग मार्केट ट्रैकिंग पोर्टलों के मुताबिक कंपनी ने 2022 में $418 मिलियन का रेवेन्यू कमाया था. स्वामी इस कंपनी को एक्टिवली संभालते हैं. करीब एक दशक बाद अरविंद स्वामी ने 2013 की फिल्म ‘कदल’ से अपने एक्टिंग करियर की फिर से शुरुआत की. आखिरी बार उन्हें फिल्म कस्टडी में देखा गया था.