इंडियन नेवी की न्यूक्लियर सबमरीन‘ INS अरिघात’ बनकर तैयार है. यह सबमरीन 29 अगस्त को स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड यानि SFC का हिस्सा बन गई. यह भारत की दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन है. आधिकारिक तौर पर इसके शामिल होने के बाद भारत के पास 2 SSBN न्यूक्लियर सबमरीन हो जाएंगी. इससे पहले साल 2016 में स्वदेशी न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत’ को जंगी बेड़े में शामिल किया था.
INS अरिघात समुद्र से 750 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली K-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) से लैस है. इतना ही नहीं इंडियन नेवी इस सबमरीन को 4000 किलोमीटर तक मार करने वाली K-4 मिसाइल से भी लैस करेगी. अरिघात एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब दुश्मनों का संहार करने वाला होता है.
INS अरिघात की क्या है खासियत ?
इस न्यूक्लियर सबमरीन का वजन करीब 6000 टन है. अरिघात की लंबाई करीब 110 मीटर और चौड़ाई 11 मीटर है. INS ‘अरिघात’ स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड का हिस्सा बनेगी. स्ट्रेटेजिक फोर्स से जुड़े होने के कारण इस न्यूक्लियर सबमरीन की कमीशनिंग के बारे में नेवी ने कोई ऑफिशियल इंफॉर्मेशन शेयर नहीं की है. लेकिन रक्षा सूत्रों के मुताबिक, देश की यह दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिघात भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार है. INS अरिघात अपने ही क्लास की अरिहंत से कई मामलों में काफी एडवांस है.
INS अरिदम का बेसब्री से इंतजार
INS अरिहंत और INS अरिघात के बाद नेवी को तीसरी न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिदम का बेसब्री से इंतजार है. इसका डेवलपमेंट जारी है. इसके बाद भारत के जंगी बेड़े में 16 डीजल (SSK) कन्वेंशनल सबमरीन हो जाएंगी. साथ ही 3 न्यूक्लियर सबमरीन (SSBN) भी भारत के पास होंगी.