बिहार में एक कहावत है कि चूडा-दही, चीनी और अचार, सबसे उत्तम आहार. जी हां, मकर संक्रांति के अवसर पर लोगों के घरों में तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं. अलग-अलग राज्यों में इस दिन अलग-अलग तरह के पकवान खाने का भी रिवाज होता है. इस दिन लोग तिल, गुड़, खिचड़ी, चिवड़ा जैसी चीजों का सेवन भी करते हैं. कहीं पर आज के दिन खिचड़ी के साथ दही बड़ा खाया जाता है तो वहीं, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में मकर संक्रांति के दिन दही और चिवड़ा जिसे देशी भाषा में चुडा भी कहा जाता है उसे खाने का रिवाज भी है. बता दें कि दही और चिवड़ा खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होता है.
क्या है गुड़, दही-चूड़ा खाने का सही तरीका?
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस व्यंजन को नाश्ते के तौर में खूब खाया जाता है. यह ग्लूटेन फ्री होता है और सबसे अच्छी बात है कि इसे पकाने के लिए तेल जैसी चीज की जरूरत नहीं पड़ती है. इसे बनाने के लिए आपको बस चूड़े को पानी में अच्छे से धोकर साफ कर लेना है. फिर चूड़े में दही और गुड़ को मिलाना हैं और आपका दही-चूड़ा बनकर तैयार हैं. आप इसे लंच, ब्रेकफास्ट में मजे से खा सकते हैं.
दही-चूड़ा खाने से होने वाले फायदे
पचाने में आसान
दही में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक्स पेट के लिए हेल्दी माने जाते हैं. वहीं चिवड़ा जिसे पोहा भी कहा जाता है ये खाने में हल्का होता है और इसको पचाना आसान होता है. ब्रेकफास्ट में दही के साथ इसका सेवन करने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है. इसके साथ ही यह पाचन तंत्र के लिए इसको पचाना आसान हो जाता है.
फाइबर से भरपूर
पोहे को बिना प्रोसेस के अगर तैयार किया जाता है तो ये फाइबर से भरपूर होता है. ऐसे में इसका सेवन पाचन क्रिया को आसान बना देता है. दही और चूड़ा को पचाना आसान होता है और यह आपके शरीर में अच्छी तरह से अवशोषित भी हो जाता है.
लो कैलोरी डाइट
जो लोग वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं वो हमेशा ऐसी चीजों की तलाश में रहते हैं जो कैलोरी में कम हों लेकिन एनर्जी से भरपूर हों. ऐसे लोगों के लिए दही और चूड़े का सेवन एक हेल्दी ऑप्शन हो सकता है.
खराब पेट को शांत करे
बता दें कि कई जगहों पर खासतौर से बिहार और यूपी में दस्त की समस्या होने पर लोग इसका सेवन करते हैं. यह खाने में हल्का होता है और इसे पचाना भी आसान होता है. इसके साथ ही यह पेट को ठंडा रखने में मदद करता है.