बुढ़ापे में नियमित आए सुनिश्चित कैसे हो ताकि नौकरी के बाद का जीवन भी आराम से कट जाए, यह चिंता प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों से लेकर बिजनेस करने वाले सभी को होती है. समाज में बूढ़े लोगों की जिम्मेदारी समाज के साथ-साथ सरकार की होती है. सरकार ने इस चिंता का समाधान करने के लिए कई बार अनेकों प्रयास किए हैं. इस उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा सभी नागरिकों के लिए नई पेंशन प्रणाली या कहें नेशनल पेंनशन योजना (एनपीएस) शुरू की गई. इसे पेंशन फंड के नियामक के रूप में पेंशन निधि विनियामक और विकास (PFRDA) द्वारा संचालित किया जाता है. एक बार अभिदाता यानि योजना का लाभ लेने वाले व्यक्ति की आयु 60 वर्ष पूरी हो जाने के पश्चात्, वृद्धावस्था में पेंशन के रूप में आय सुरक्षित करता है.
बता दें कि पीएफआरडीए (पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण) की पेंशन प्रणाली के तहत एनपीएस एक स्वैच्छिक योजना है, जो 18-60 वर्ष के आयु वर्ग के सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है. यूपीए सरकार द्वारा इस योजना को 01.05.2009 से लागू किया गया था. एनपीएस योजना का उद्देश्य लंबी अवधि में बाजार संचालित रिटर्न के साथ वृद्धावस्था में पेंशन प्रदान करना है.
क्या है एनपीएस योजना
एनपीएस योजना को बैंक की नामित शाखाएं यानी प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस-सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से लागू किया जाता है. इन स्थानों पर आवेदन पत्र स्वीकार किए जाते हैं और स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) बनाने के लिए सब्सक्राइबर को सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी के साथ पंजीकृत करवाते हैं. साथ ही भविष्य के सभी लेन-देन के लिए पीआरएएन का उल्लेख किया जाता है.
योजना का लाभ कैसे मिलता है
प्रक्रिया पूरी होने के बाद योजना का लाभ लेने वाले व्यक्ति को सीआरए द्वारा स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या के बारे में सूचित किया जाता है. इसके बाद सीआरए द्वारा प्रान प्रदान करने के बाद, ग्राहक अपने चुने हुए पीओपी-एसपी के माध्यम से अपनी सदस्यता जमा करना शुरू कर सकते हैं. योजना में सीआरए सभी सब्सक्रिप्शन का रिकॉर्ड रखता है.
पहला – उच्च जोखिम उच्च रिटर्न (एसेट क्लास ई): मुख्य रूप से इक्विटी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश.
दूसरा – मध्यम जोखिम मध्यम रिटर्न (एसेट क्लास सी): सरकारी प्रतिभूतियों के अलावा अन्य ऋण प्रतिभूतियों में निवेश.
तीसरा – कम जोखिम कम रिटर्न (एसेट क्लास जी): सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश.