मात्र 15 साल की उम्र में पाकिस्तान के लिए टी20 करियर आगाज करने वाली महिला क्रिकेटर आयशा नसीम अपने केरियर के पीक में जब आसमान में उड़ने के लिए जगह ही जगह थी, तब 18 साल की आयशा नसीम ने क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला लिया. इस फैसले से फैंस ही नहीं, बल्कि उनकी साथी खिलाड़ी भी बहुत ही हैरान हैं. समझाने की तमाम कोशिशें हुई जरूर, लेकिन सभी बेकार हो गईं. एक समय ने वसीम अकरम ने उन्हें काफी प्रतिभाशाली करार दिया था लेकिन अब वह क्रिकेट नहीं खेलना चाहतीं.
ये रही फैसला की वजह
आयशा नसीम ने इस्लाम की सेवा के लिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया.आक्रामक बल्लेबाज आयशा ने उस उम्र में खेल से नाता तोड़ा जब अधिकांश खिलाड़ी कैरियर की शुरुआत करते हैं. पाकिस्तानी महिला टीम की कप्तान निदा दर और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें मनाने की काफी कोशिशें की जो नाकाम रहीं. PCB के सूत्रों के हवाले से खबर ये आ रही है कि आयशा ने साफ तौर पर कहा कि यह उसका निजी फैसला है और वह इस्लाम के सिद्धांतों के हिसाब से अपनी जिंदगी जीना चाहती है. ‘‘निदा दर और कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने उसे मनाने की कोशिश की कि वह खेलते हुए भी अच्छी मुसलमान बनी रह सकती है, लेकिन आयशा ने अपने फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर दिया.’
रूढ़िवादी परिवार से ताल्लुक रखने वाली आयशा के बारे में एक सूत्र ने बताया कि उसे क्रिकेट खेलने की इजाजत बहुत मुश्किल से मिली थी.और पाकिस्तानी टीम के साथ दौरा करने पर घर में उसे परेशानियां आने लगी. उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार उसने क्रिकेट छोड़कर इस्लाम के सिद्धांतों के अनुरूप एक मुकम्मल मुसलमान के तौर पर जीने का फैसला किया’
इससे पहले पाकिस्तान के पुरुष क्रिकेटर सईद अनवर, इंजमाम उल हक, मोहम्मद युसूफ, सकलेन मुश्ताक और मुश्ताक अहमद भी मजहब की ओर मुड़े थे, लेकिन अनवर ने 2002 में अपनी बेटी की मौत के बाद क्रिकेट खेलना छोड़ दिया था. इंजमाम, युसूफ, मुश्ताक और सकलेन तबलीगी जमात से जुड़ने के बाद भी क्रिकेट से जुड़े रहे हैं.