वित्तीय संकट का सामना कर रही टेक्नोलॉजी बेस्ड एजुकेशन कंपनी बायजूस को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने NCLAT के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें एसीएलएटी vs बायजूस और BCCI के बीच सेटलमेंट की इजाजत दे दी थी. इससे पहले 14 अगस्त, 2024 को मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाया था जिसे अब सर्वाच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है.
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मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, बायजूस और बीसीसीआई के बीच जो सेटलमेंट प्रोसेस को अपनाया गया है उसमें कई खामियां है. ये सेटलमेंट इंसोलवेंसी प्रोफेशनल पंकज श्रीवास्तव की मंजूरी के बगैर हुआ है जिन्हें एनसीएलएटी ने 16 जुलाई को कंपनी के कामकाज देखने के लिए नियुक्त किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मौजूदा अपील को स्वीकार करते हुए एनसीएलएटी के अगस्त 2024 में दिए आदेश को रद्द करते हैं. बायजूस को जिन अमेरिकी कर्जदाताओं के समूह ने कर्ज दिया था उन्होंने एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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बायजूस के फाउंडर बायजू रवींद्रन के भाई रिजु रवींद्रन जो कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक हैं उन्होंने बीसीसीआई को 158 करोड़ रुपये का भुगतान कर स्पांसर डील से जुड़े विवाद को सेटल किया था. बीसीसीआई ने बायजूस के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए एनसीएलएटी में याचिका दायर किया था. बायजूस को कर्ज देनेवाली अमेरिकी लेंडर्स ग्लास ट्रस्ट कंपनी ने बायजूस और बीसीसीआई के बीच सेटलमेंट का विरोध करते हुए अपने पैसे वापस करने की मांग कर रहे थे. अमेरिकी लेंडर्स ने बायजूस को 1.2 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से सेटलमेंट में मिले रकम को ब्याज समेत बायजूस की पैरेंट कंपनी थींक एंड लर्न की कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स के पास जमा कराने को कहा है. कोर्ट ने क्रेडिटर्स के समूह से इस पैसे को आगे की कार्रवाई तक एस्क्रो अकाउंट में रखने को कहा है साथ ही उन्हें एनसीएलएटी के आगे के निर्देशों का पालन करने को भी कहा है.
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