चंद्रयान-3 का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतारने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि ISRO अब 2 सितंबर की सुबह यानि 11:50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से भारत अपना पहला अंतरिक्ष-आधारित सौर मिशन आदित्य L1 लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है. आदित्य L1 सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज बिंदु L1 पर एक दूरस्थ स्थान से सौर कोरोना का निरीक्षण करेगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नयी जानकारी मिल सकेगी. आने वाले दशकों और सदियों में पृथ्वी पर संभावित जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए यह आंकड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
लैग्रेंज प्वाइंट के बारे में बात करें तो उसे ऐसा संतुलन बिंदु को कहा जाता है जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वीय बल बराबर होते हैं. आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी की व्यवस्था के लैग्रेंज बिंदु यानि L1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यहां से सूर्य को बिना किसी व्यवधान या ग्रहण के लगातार देखने का लाभ मिलेगा. सौर अवलोकनों के लिए L1 बिंदु को लैग्रेंजियन बिंदुओं में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसकी खोज गणितज्ञ जोसेफ लुईस लैग्रेंज ने की थी.
इसरो ने कहा है कि, “एल 1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का प्रमुख लाभ मिलता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव को देखने का एक बड़ा लाभ मिलेगा.”
सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला- आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान, पीएसएलवी-सी57 रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा. आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान सूर्य के कोरोना, क्रोमोस्फीयर, फोटोस्फीयर और सौर हवा का अध्ययन करने के लिए सात पेलोड से लैस होगा.