चीन में कहर मचा रहा ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस यानि HMPV वायरस अब भारत तक पहुंच गया है. कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु के बाद इस वायरस की अब महाराष्ट्र में भी होने की पुष्टी हुई है. नागपुर में दो बच्चे HMPV वायरस से संक्रमित मिले हैं, जिससे मंगलवार को देश में अब तक कुल मामलों की संख्या 7 हो गई है. महाराष्ट्र सरकार ने इस संबंध में एडवाइजरी भी जारी की है. वहीं HMPV के बढ़ते केस के बीच केंद्र ने राज्यों से देश में श्वसन संबंधी बीमारियों पर निगरानी की समीक्षा करने को कहा है.
HMPV वायरस मुख्य रूप से पीड़ित व्यक्ति के सांस लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है. इसके लक्षण कई मामलों में कोविड-19 के समान ही होते हैं. हालांकि, ये वायरस मुख्य रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों को संक्रमित करता है. वायरस संक्रमित मरीज में सबसे आम लक्षण खांसी है. इसके साथ हल्का बुखार, घरघराहट, नाक बहना या गले में खराश जैसी परेशानी भी हो सकती है. वायरस से संक्रमित होने के बाद कुछ मामलों में गंभीर लक्षण आ सकते हैं. सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है.
HMPV वायरस के संक्रमण के कैसे करें बचाव
राज्यों को वायरस के संक्रमण की रोकथाम के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने की सलाह दी गई है. जिसमें साबुन से बार-बार हाथ धोना, बिना धुले हाथों से अपनी आंखें, नाक या मुंह को छूने से बचना और ऐसे लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना की सलाह दी जा रही है. साथ ही साथ संक्रमित व्यक्ति को खांसते और छींकते समय मुंह और नाक को ढकना, बुखार, खांसी और छींक आ रही है तो वे सार्वजनिक स्थानों से दूर रहने की सलाह दी गई है. संक्रमित व्यक्ति को खूब पानी पिने और पौष्टिक भोजन खाने, संक्रमण को कम करने के लिए सभी स्थानों पर बाहरी हवा के साथ पर्याप्त वेंटिलेशन रखने की आवश्यकता बताई जा रही है.
HMPV वायरस जानलेवा नहीं है – ICMR के पूर्व वैज्ञानिक
HMPV कई श्वसन वायरस में से एक है, जो सभी उम्र के लोगों में संक्रमण का कारण बन सकता है. वायरस का संक्रमण आमतौर पर हल्का और स्व-सीमित स्थिति वाला होता है और अधिकांश मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं. आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेडकर ने कहा कि एचएमपीवी निश्चित रूप से जानलेवा नहीं है और आज तक मृत्यु दर या गंभीर संक्रमण दर का कोई सबूत नहीं है. अधिकांश संक्रमण हल्के होते हैं और केवल पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में होते हैं. यह 4 से 5 दिनों तक सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण पैदा कर सकता है. वायरस न्यूमोनाइटिस जैसी बीमारी पैदा कर सकता है, लेकिन मृत्यु दर अभी तक लगभग अज्ञात है. एचएमपीवी का वैश्विक प्रसार लगभग 4 प्रतिशत है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस नया नहीं है और यह पहले से फैल चुका वायरस है. इसकी पहचान 2001 में हुई थी. एचएमपीवी वायरस स्थिर बना हुआ है और चिंता का विषय नहीं है. एचएमपीवी संक्रमण आमतौर पर स्व-सीमित होते हैं, यानी यह अपने आप भी ठीक हो जाते हैं. इसके लिए पर्याप्त आराम और हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है. इसके उपचार में सहायक उपचार दिया जाता है.