केंद्र सरकार ने दिल्ली स्थित एतिहासिक नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदल दिया है. अब इसे प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी नाम से जाना जाएगा. मेमोरियल में से नेहरू शब्द हटाए जाने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी घमासान छिड़ गया है और दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच नाम बदलने को लेकर जमकर बयानबाजी भी हो रही है.
मध्य दिल्ली में तीन मूर्ति मार्ग पर स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का आधिकारिक तौर पर नाम बदलकर प्रधानमंत्री मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी करने का फैसला जून में लिया गया था. नेहरू म्यूजियम का नाम बदलने पर कांग्रेस ने कहा है कि प्रतिष्ठित संरचना का नाम बदलने के पीछे का उद्देश्य देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विरासत को विकृत करना है. वहीं, बीजेपी ने वंशवाद के आरोप के साथ पलटवार किया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने किया ये ट्वीट करके नाम बदलने का विरोध करते हुए लिखा कि- “आज से एक प्रतिष्ठित संस्थान को एक नया नाम मिला है. विश्व प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय. प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय बन गया है. नरेंद्र मोदी के पास भय, जटिलताओं और असुरक्षाओं का विशाल बंडल, खासकर जब यह हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री की बात आती है. उनके पास नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारने, विकृत करने, बदनाम करने और नष्ट करने का एक सूत्री एजेंडा रहा है. उन्होंने एन को मिटा दिया है और इसके स्थान पर P डाल दिया है. वह पी वास्तव में क्षुद्रता और चिढ़ के लिए है. लेकिन वह स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू के विशाल योगदान और भारत की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदार नींव के निर्माण में उनकी महान उपलब्धियों को कभी नहीं छीन सकते हैं. इस सबके बावजूद जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया को देखने के लिए जीवित रहेगी और वे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे.”
जयराम रमेश की टिप्पणियों का कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने समर्थन किया. वहीं, इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक वीडियो मैसेज पोस्ट किया. पूनावाला ने गांधी परिवार पर चुटकी लेते हुए कहा, “पी का मतलब केवल परिवार है, न कि लोग (पीपुल)”. वहीं बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कोंग्रेस महासचिव जयराम रमेश को जवाब देते हुए कहा कि- “एक संग्रहालय, एक पुस्तकालय जो इस देश के सभी प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा, पहले प्रधानमंत्री से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री तक, लाल बहादुर शास्त्री से लेकर पीवी नरसिम्हा राव तक, एचडी देवेगौड़ा से लेकर इंद्र कुमार गुजराल तक- सभी ने इस देश को महान बनाया है. कांग्रेस पार्टी इसका विरोध कर रही है. कांग्रेस कह रही है कि इसका नाम एक परिवार के केवल एक प्रधानमंत्री के नाम पर रखा जाना चाहिए.”
क्या है NMML इमारत का इतिहास ?
बता दें कि ब्रिटिश राज के दौरान फ्लैगस्टाफ हाउस के नाम से मशहूर इस इमारत का इस्तेमाल पहले ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ के निवास के रूप में किया जाता था. आज़ादी के बाद यह प्रधानमंत्री नेहरू का आधिकारिक निवास बन गया. उनके निधन के बाद इसे एक लाइब्रेरी और म्यूजियम में बदल दिया गया था. गौरतलब है कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, यहां देश के पत्रकार, लेखक, रिर्सच स्टूडेंट नेहरू के समय की सरकारों और उनकी नीतियों व समकालीन देशों की किताबों को पढ़ते हैं.