इंडिया गठबंधन की दिल्ली में हुई बैठक में नीतीश कुमार को कोई अहम रोल नहीं मिलने के बाद से लौटने के तुरंत बाद ही नीतीश कुमार ने जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने के ऐलान करवा दिया. चर्चा है कि ललन सिंह जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं. खबरें ये भी हैं कि ललन सिंह को हटाकर नीतीश कुमार खुद पार्टी की कमान संभाल सकते हैं. सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार ललन सिंह के काम से संतुष्ट नहीं हैं. साथ ही ललन सिंह के आरजेडी से गहरे संबंध भी इस तल्खी की वजह बन रहे हैं.
बता दें कि 29 दिसंबर को जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक है.वैसे ललन सिंह गए तो कौन अध्यक्ष होगा, सबसे बड़ा सवाल यही है? खुद नीतीश या कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर या फिर विजय चौधरी. दरअसल, नीतीश कुमार लगातार अशोक चौधरी और ललन सिंह के संपर्क में हैं. क्या उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह की वापसी होगी? आरसीपी को हटाकर ही तो ललन सिंह जेडीयू के अध्यक्ष बने थे. वैसे नीतीश के लिए कहा जाता है कि बिहार में जेडीयू के जितने भी अध्यक्ष बने हैं, वे अंत में उनको हटा ही देते हैं. उनकी किसी से बनती नहीं है. नीतीश के लिए ये भी कहा जाता है कि वह पूर्ण रूप से किसी पर विश्वास नहीं करते.
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाह ने ललन पर नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद दोनों को धोखे में रखकर समझौता करने का आरोप लगाया है. कुशवाह ने एक साल पहले जदयू छोड़कर नई पार्टी बना ली थी और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतात्रिक गठबंधन में लौट आये हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ललन ने नीतीश कुमार से वादा किया था कि लालू उन्हें भाजपा विरोधी गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में समर्थन देंगे. दूसरी ओर उन्होंने राजद प्रमुख को आश्वासन दिया था कि जदयू का उनकी पार्टी में विलय हो जाएगा और उनके पुत्र (तेजस्वी यादव) CM बनेंगे. दोनों वादों को पूरा करने में वे असफल रहे .”संयोगवश जदयू ने जब बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा था और राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित ‘महागठबंधन’ में शामिल हो गई थी तब कुशवाहा पार्टी के संसदीय बोर्ड के प्रमुख थे. कुछ इसी तरह के विचार भाजपा नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी व्यक्त किए हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि नीतीश लालू प्रसाद के साथ ललन की ‘‘नजदीकियों” से सावधान हो गए थे.
उधर, जदयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामले पर कहा कि पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने इस्तीफे की अफवाहों के जवाब में खुद खंडन जारी किया है. अब तो इस बारे में बात नहीं की जानी चाहिए. नीतीश और ललन के बीच सब कुछ ठीक है, लेकिन फिर भी हम इसके बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि भाजपा ऐसी अफवाहें फैलाती है और हमें इन्हें खारिज करने में अपना समय बर्बाद करना पड़ता है.