विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने भारत में बर्ड फ्लू के मानव मामले की पुष्टि की है. यह भारत से WHO को सूचित किया गया एवियन इन्फ्लूएंजा A (H9N2) का दूसरा मानव संक्रमण है, पहला मामला 2019 में सामने हुआ था. रोगी पश्चिम बंगाल राज्य में रहने वाला 4 साल का बच्चा है. 26 जनवरी 2024 को बुखार और पेट दर्द के शिकायत के बाद बच्चे को डॉक्टर से दिखाया गया था. गंभीर श्वसन संकट, बार-बार होने वाले तेज बुखार और पेट में ऐंठन के कारण मरीज को एक स्थानीय अस्पताल की बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई में भर्ती कराया गया था. बच्चा ठीक हो गया है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.
बंगाल के 4 साल बच्चे में यह वायरस पाय जान के बाद उनके नासॉफिरिन्जियल स्वैब को कोलकाता वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी में भेजा गया था और इन्फ्लूएंजा ए और राइनोवायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया था.26 अप्रैल को, वास्तविक समय पोलीमरेज़ श्रृंखला प्रतिक्रिया के माध्यम से नमूना को इन्फ्लूएंजा ए (एच9एन2) के रूप में उप-टाइप किया गया था. मरीज को 1 मई को ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि संक्रमित मरीज का घर और आसपास में पोल्ट्री से संपर्क था. हालांकि, यह भी पुष्टि की गई कि रिपोर्टिंग के समय परिवार, आस-पड़ोस या मामले में उपस्थित स्वास्थ्य सुविधाओं पर स्वास्थ्य कर्मियों के बीच श्वसन संबंधी बीमारी के लक्षण बताने वाला कोई ज्ञात व्यक्ति नहीं था.
क्या है WHO की चेतावनी ?
WHO ने आगे चेतावनी दी कि भविष्य में छिटपुट मानव मामले सामने आ सकते हैं. क्योंकि यह वायरस “विभिन्न क्षेत्रों में पोल्ट्री में फैलने वाले सबसे प्रचलित एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस में से एक है. पशु इन्फ्लूएंजा वायरस आम तौर पर जानवरों में फैलता है. लेकिन मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है. मनुष्यों में संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क या दूषित वातावरण के अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से प्राप्त हुआ है.
बर्ड फ्लू कितना खतरनाक?
इंसान में बर्ड फ्लू का पता लगाने के लिए एक टेस्ट किया जाता है. ये टेस्ट हर जगह नहीं होता है. हालांकि, इस बीमारी का इलाज एंटीवायरल दवाओं से की जाती है. बर्ड फ्लू में तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में परेशानी, पेट में दर्द, उल्टी हो सकते हैं. हालांकि, बीमारी का पता जांच के बाद ही लगता है.