गाजीपुर की मिट्टी में फिर एक निर्दोष जान दफन हो गई — वजह वही पुरानी, “झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही।” दांत के दर्द से परेशान एक महिला इलाज की उम्मीद लेकर क्लीनिक पहुँची, पर लौटकर आई तो सिर्फ उसकी लाश. महिला को बस हल्का-सा दांत दर्द था. परिवार ने सोचा, नज़दीक ही डॉक्टर है, वहीं दिखा देते हैं। मगर जिसने सफेद कोट पहन रखा था, उसके पास न कोई डिग्री थी, न अनुभव। उसने बिना किसी जांच के हाथ में इंजेक्शन ठोंक दिया। चंद मिनटों में महिला तड़पने लगी, और देखते ही देखते उसकी सांसें थम गईं.

गाजीपुर के रेवतीपुर में एक महिला की इंजेक्शन लगाने के बाद मौत हो गई. परिजन का आरोप है कि महिला के दांत में दर्द हुआ तो वह उसे डेंटिस्ट के पास ले गए, जहां डॉक्टर ने उसके हाथ में इंजेक्शन लगाया और इंजेक्शन लगते ही महिला अचेत हो गई. इसके बाद उसे दूसरे अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. महिला की मौत के बाद डॉक्टर अपना क्लिनिक बंद कर भाग गया. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के गांव रेवतीपुर में एक महिला की इंजेक्शन लगने के बाद मौत हो गई. मृतका की पहचान 21 साल की रुचि यादव के रूप में हुई है, जिसकी 5 महीने पहले ही शादी हुई थी. अचानक उसके दांत में दर्द होने लगा. परिजन उसे डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने रुचि को इंजेक्शन लगाया. परिजन का आरोप है कि झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही के चलते ही रुचि यादव मौत हुई !

यह कैसी चिकित्सा व्यवस्था है, जहाँ इलाज की जगह मौत मिल रही है?
गाजीपुर ही नहीं, पूरे पूर्वांचल में ऐसे झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग सिर्फ फाइलों में कार्रवाई करता है, जमीन पर कुछ नहीं बदलता. ग्रामीणों ने रोष जताते हुए कहा कि “अगर विभाग पहले कार्रवाई करता, तो आज यह महिला जिंदा होती।” लेकिन अफसोस, जब तक किसी की मौत न हो जाए, तब तक किसी को फर्क नहीं पड़ता. यह सिर्फ एक महिला की मौत नहीं है, बल्कि व्यवस्था की असफलता का प्रतीक है। अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो ऐसे झोलाछाप डॉक्टर कल किसी और घर का चिराग बुझा देंगे.

गाजीपुर की यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है — इलाज के नाम पर चल रहे मौत के ये धंधे कब तक? अब वक्त आ गया है कि सरकार और समाज मिलकर इन नकली डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। क्योंकि हर मौत एक चेतावनी है — और अब चुप्पी अपराध से कम नहीं !!

