कतर में कथित जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाए नेवी के 8 पूर्व कर्मियों के लिए आज का दिन खुशियों की सौगात लेकर आया. कतर कोर्ट ने फांसी की सजा को रोक दिया है. मौत की सजा के खिलाफ भारत की तरफ से अपील दाखिल की गयी थी. कतर की अदालत ने 26 अक्टूबर को नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी. मौत की सज़ा को कारवास में बदलने के बाद इस बात की उम्मीद भी बढ़ गई है कि 2015 के समझौते के मुताबिक़ 8 भारतीयों को भारत में सज़ा पूरा करने का विकल्प भी मिल जाए.
कतर में जिन 8 पूर्व नौसेना अफसरों को मौत की सजा सुनाई गयी थी उनके नाम हैं- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश.
कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था. हालांकि, भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था. 30 सितंबर को इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई थी. पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद दी गयी थी. दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस दिसंबर में दिया गया था. आठ लोगों की जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी हैं.
भारत सरकार ने कतर की अदालत के फैसले पर हैरानी जाहिर की थी. सरकार ने कहा था कि उन्हें छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते खोजे जा रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि हम जजमेंट की डिटेलिंग का इंतजार कर रहे हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इन लोगों के परिवारों से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा था कि वह उनका दर्द और चिंता समझ सकते हैं. जयशंकर ने कहा था कि सरकार आठों लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी कोशिशें कर रही हैं.