गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरती है. गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी रहे जी.कृष्णैया की हत्या के मामले मे आरोपी पूर्व सांसद आनंद मोहन की संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. दरअसल जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने बड़ा कदम उठाते हुए आनंद मोहन को तुरंत पासपोर्ट सरेंडर करने के आदेश दिया है. साथ ही हर 15 दिन में स्थानीय पुलिस के पास रिपोर्ट करने के भी आदेश दिया है
कोर्ट के द्वारा आनंद मोहन की स्थिति पूछने पर याचिकाकरता के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि फिलहाल वह जेल से बाहर हैं और स्टेट के हिसाब से कम कर रहे हैं. इसके बाद कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा की आनंद मोहन अपना पासपोर्ट लोकल थाने में जमा करे. कोर्ट इस मामले पर 27 फरवरी को सुनवाई करेगा. इस दौरान केंद्र सरकार को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेगा। क्योंकि इस मामले पर केंद्र सरकार की तरफ से अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिए जाने की मांग की गई थी.
मामला क्या है?
दरअसल 29 साल पहले तारीख 5 दिसंबर 1994 को बिहार पीपुल्स पार्टी के छोटन शुक्ला की हत्या के बाद मुजफ्फरपुर में उनके समर्थक जुलूस निकालकर शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे. इससे बेखबर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया नेशनल हाईवे से गोपालगंज लौट रहे थे. कृष्णैया हाजीपुर में चुनाव से जुड़े एक मीटिंग में शामिल होने आए थे. कृष्णैया का काफिला मुजफ्फरपुर के खबरा में निकल रहे जुलूस में फंस गया. फंसा ऐसा कि काफिले की गाड़ी तो बाद में निकल गई, लेकिन कृष्णैया जिंदा नहीं निकल पाए. काफिले के BHQ 777 नंबर की एंबेसडर कार से निकला तो सिर्फ पत्थर से कुचला एक डीएम का शव. कृष्णैया हत्याकांड 29 साल बाद हत्याकांड के मुख्य आरोपी आनंद मोहन को जेल से हमेशा के लिए रिहा कर दिया गया है.