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मुख्यमंत्री योगी के गढ़ गोरखपुर में दो कलाकार के बीच कैसे रोचक हुआ मुकाबला? क्या कहते हैं सीट के समीकरण ?

समाजवादी पार्टी ने भोजपुरी फ़िल्म कलाकार रहीं काजल निषाद को प्रत्याशी बनाया है. रवि किशन 2019 में भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं

लोकसभा चुनाव 2024 के तहत देश में अंतिम और 7वें चरण के लिए1जून को मतदान होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश में अंतिम चरण में कुल 13 सीटों पर मतदान होना है. इन 13 सीटों में वाराणसी के बाद अगर सबसे ज़्यादा किसी सीट की चर्चा है तो वो है गोरखपुर. गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी कर्मभूमि रही है. यहां इस बार लोकसभा चुनाव में सीधी लड़ाई बीजेपी बनाम समाजवादी पार्टी के बीच मानी जा रही है.

Yogi Adityanath Akhilesh Yadav

कौन कौन हैं मैदान में?
गोरखपुर लोकसभा सीट पर इस बार लड़ाई हीरो बनाम हीरोइन की है. यहां से बीजेपी ने वर्तमान सांसद और भोजपुरी और बॉलीवुड स्टार रवि किशन पर एक बार फिर विश्वास जताया है. वहीं समाजवादी पार्टी ने भोजपुरी फ़िल्म कलाकार रहीं काजल निषाद को प्रत्याशी बनाया है. रवि किशन 2019 में भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं वहीं काजल निषाद ने चुनावी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से 2012 में की थी. इसके बाद वो सपा के टिकट पर विधानसभा और मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन सफलता अबतक हाथ नहीं लगी है.

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गोरखपुर में चुनावी समीकरण क्या हैं?
अगर बात करें मुद्दों की तो यहां विकास के साथ-साथ गोरखनाथ पीठ और योगी आदित्यनाथ का नाम यहां प्रमुख मुद्दा है. योगी आदित्यनाथ को पांच बार सांसद बनाने के बाद यहां जो विकास हुआ, उसकी वजह से लोगों में भरोसा अपने पूर्व सांसद और यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री पर ज़्यादा दिखाई देता है. बीजेपी का दावा है कि रामगढ़ताल के आसपास के विकास से लेकर तीन दशक से बंद पड़े फर्टिलाइजर का शुरू होना, एम्स बनना, प्रस्तावित मेट्रो, सड़कों का चौड़ीकरण, बिजली आपूर्ति में सुधार, शहर का सौंदर्यीकरण यहाँ का चुनाव में प्रमुख मुद्दे हैं.

गोरखपुर के चुनावी आंकड़े
गोरखपुर में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 20 लाख 74 हज़ार है. इस सीट में विधानसभा की 5 सीटें आती हैं और सभी पर बीजेपी का कब्ज़ा है. माना जाता है कि निषाद वोटर्स की आबादी की वजह से सपा ने 2009 को छोड़कर आठ बार निषाद को मैदान में उतारा है. ये अलग बात है कि 2018 के लोकसभा उपचुनाव को छोड़ दें तो हर बार सपा को यहां मात ही खानी पड़ी थी.

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