देश में अचानक से कोरोना के मामले एक बार फिर से बढने लगे हैं. कोरोना के केस बढने की वजह है नया वेरिएंट KP.1 और KP.2 . देश में इस नए म्यूटेशन ने मामलों में बढ़ोतरी की है. तेज़ी से मामला बढ़ाने वाले इस वेरिएंट से अब माइल्ड इन्फेक्शन की ही पुष्टि हुई है. सरकार की इस नए वेरिंयट और केस पर नज़र है. सरकार इस नए म्यूटेशन को लेकर निगरानी बढ़ा दी गई है. वहीं, तैयारी अब रैंडम सैंपलिंग की भी हो रही है. अब तक इससे गंभीर बीमारी या मौत का आंकड़ों में बढ़ोतरी की पुष्टि फिलहाल नहीं हुआ है.
पैनिक होने की जरूरत नहीं: एक्सपर्ट
दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की माने तो कोरोना का ये वायरस RNA वायरस है. इसमें म्यूटेशन होते रहते हैं. नया वेरिएंट आता रहेगा. मामलों में उतार चढ़ाव भी आता रहेगा. अभी ही नहीं अगले 50 साल तक भी हो सकते हैं. हमें ये मॉनिटर करना चाहिए कि सेवारिटी या डेथ बढ़े हैं कि नहीं. अब तक के प्रमाण के मुताबिक ये कॉमन कोल्ड है उससे ज्यादा नहीं. न पैनिक होने की जरूरत है और न ही रणनीति बदलने की. बस मॉनिटरिंग करनी है.
कितना खतरनाक है नया वेरिएंट?
आंकड़े बता रहे हैं कि मामले तेज़ी से बढ़ाने की इनमें क्षमता है. पर, अब तक इन दो नए म्यूटेशन ने न तो अस्पताल में दाखिला बढ़ाया है और न ही मौत के मामलों में इज़ाफ़ा लाया है. मसलन संक्रमण तो दे रहा है पर उसमें सेवरिटी नहीं है. इंसाकॉग जीन सीक्वेंसिंग को लेकर कोई कोताही नहीं बरत रही. कोरोना के इस नए आकार और प्रकार ने फिक्रमंद ज़रूर किया है, पर व्यवहार अब तक ऐसा नहीं जो मुसीबत बने. पर फिर भी नज़र और निगरानी रखी जा रही है.