जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली की नई आबकारी नीति घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के बडे नेता, दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आरोपी मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इंकार करते हुए कहा कि मामले में 336 करोड़ की मनी ट्रेल साबित हुई. इसके अलावा कोर्ट ने अपने फैसले मे कहा कि 6-8 महीने में ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया और कहा अगर 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा नहीं होता तो वह दोबारा से जमानत की याचिका दाखिल कर सकते है. कोर्ट ने कहा की अगर ट्रायल में देरी होती है तो तीन महीने में वह फिर से जमानत अर्जी दे सकते हैं. हालाकि कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में कई कानूनी मुद्दे आए ज्यादातर के जवाब हमने अपने फैसले मे नहीं दिए है.
सीबीआई ने आबकारी नीति ‘घोटाले’ में कथित भूमिका को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. वह, तब से ही हिरासत में हैं.ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन मामले में नौ मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
हाईकोर्ट ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री के पद पर रहने के नाते, वह एक “प्रभावशाली” व्यक्ति हैं तथा वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने धनशोधन मामले में तीन जुलाई को उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं