सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत रद्द करने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. शनिवार को गुजरात हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ की जमानत रद्द कर दी थी. हाईकोर्ट के फैसले का तीस्ता सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर पहले शाम में सुनवाई हुई थी लेकिन जजों के बीच एक राय नहीं बनने के बाद इसे तीन जजों की पीठ के पास भेज दिया गया था. पीठ ने जमानत रद्द करने के फैसले पर 1 सप्ताह के लिए रोक लगा दी है.
अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दो सितंबर को अंतरिम जमानत दी थी. उस बात को 8-9 महीने बीत गए हैं. हाईकोर्ट को सरेंडर के लिए इतना वक्त तो देना चाहिए था कि बड़ी अदालत विचार कर सके. जस्टिस ओक ने कहा कि जब इतने महीनों से वो जमानत पर हैं तो अगले 72 घंटों में कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा. कोर्ट ने कहा कि हम अभी हैंडीकैप हैं क्योंकि छुट्टी का दिन है और हमने आदेश पूरी तरह से पढ़ा नहीं है. ये बड़ा आदेश है.
यह अदालत जमानत के माध्यम से अंतरिम सुरक्षा नहीं दे सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें मामले की पूरी सुनवाई करनी होगी. क्या एचसी द्वारा कोई निष्कर्ष दर्ज किया गया था? क्या कोई निष्कर्ष दर्ज किया गया है कि उसने 22 सितंबर के बाद शर्तों का उल्लंघन किया है.
तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप की बात करें तो गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गोधराकांड के बाद हुए दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सुबूत गढ़ने से जुड़े एक मामले में तत्काल आत्मसमर्पण करने को कहा गया. न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की अदालत ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज की और उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने को कहा था क्योंकि वह पहले ही अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर हैं.