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इजरायल ने गाज़ा पर की फॉस्फोरस बम से ‘मौत की बारिश’, जानें कैसे मचाता है तबाही !

जंग के दौरान आबादी वाले क्षेत्र में फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है. फॉस्फोरस बम ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन कर बड़े स्तर पर तबाही मचाते हैं.

फिलिस्तीनी संगठन हमास के इजरायल पर हमले के बाद इजरायल की तरफ से लगातार जवाब दिया जा रहा है. गाजा पट्टी पर इजरायली लड़ाकू विमानों से बम बरसाए जा रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि इजरायल की तरफ से हमले के रुप में खतरनाक व्हाइट फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया गया है.

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क्या है फॉस्फोरस बम?
फॉस्फोरस एक केमिकल होता है जो मुलायम रवेदार केमिकल होता है. यह ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर तेजी से जलने लगता है. इसमें से लहसुन जैसी गंध आती है. यही वजह है कि इससे तैयार बम तेजी से आग को फैलाता है. जिसकी खरीदारी पर तो कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन इससे तैयार बम को इस्तेमाल को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम हैं. सफेद फास्फोरस का इस्तेमाल पहली बार 19वीं शताब्दी में फेनियन (आयरिश राष्ट्रवादी) आगजनी करने वालों द्वारा किया गया था. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1916 के अंत में ब्रिटिश सेना द्वारा पहला कारखाना-निर्मित सफेद फास्फोरस ग्रेनेड पेश किया गया था.

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A picture taken early on March 23, 2018 shows what appears to be white phosphorus incendiaries landing during regime bombardment in Douma, one of the few remaining rebel-held pockets in Eastern Ghouta on the outskirts of the capital Damascus. (Photo by HAMZA AL-AJWEH / AFP)

यह कितना खतरनाक है?
फॉस्फोरस का टेम्प्रेचर 800 डिग्री सेंटीग्रेट से ज्यादा होता है. जब इसका धमाका होता है, तो इसके कण बहुत दूर तक फैलते हैं. ये शरीर में पहुंचने या इनके संपर्क में आने वाले इंसान की जान भी जा सकती है. इसका धुआं इंसान का दम घोंट देता है. यही वजह है कि इसके धुएं के गुबार में फंसे लोग दम तोड़ देते हैं. फॉस्फोरस स्किन के अंदरूनी टिश्यू को बुरी तरह से डैमेज कर देता है. यह अंदरूनी अंगों तक को नुकसान पहुंचा सकता है.

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व्हाइट फॉस्फोरस को लेकर क्या है अंतरराष्ट्रीय नियम?
व्हाइट फॉस्फोरस को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम भी हैं. 1977 में जिनेवा कन्वेंशन में ये नियम बने. आम लोगों की मौजूदगी में इसके इस्तेमाल पर पाबंदी है. ऐसा करने पर इसे रासायनिक हथियार में गिना जाएगा. हालांकि, जंग में इसका प्रयोग करने की बात कही गई.

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यूक्रेन पर रूस की ओर से फॉस्फोरस बम गिराने का आरोप
रूस-यूक्रेन जंग अभी तक भी किसी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंची है. रूस की ओर से यूक्रेन पर कई तरह से हमले किए गए हैं. इसी क्रम में अब यूक्रेन की ओर से दावा किया गया है कि रूस ने उसके शहर बखमुत पर फॉस्फोरस बम गिराया है. रूस-यूक्रेन युद्ध, इराक युद्ध, अरब-इजरायल संघर्ष जैसे आधुनिक युद्धों में फास्फोरस गोला बारूद का इस्तेमाल किया गया था. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1916 के अंत में ब्रिटिश सेना द्वारा पहला कारखाना-निर्मित सफेद फास्फोरस ग्रेनेड पेश किया गया था.

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