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विपक्षी गठबंधन का नाम ‘INDIA’ क्यों रखा गया? जानें क्या है इसके सियासी मायने?

विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम 'INDIA' ही रखने का मन क्यों बनाया है? इसके पीछे विपक्ष की क्या सियासत है?

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बेंगलुरु में चल रही विपक्षी दलों की बैठक से एक बड़ी खबर सामने आई है, विपक्षी दलों ने अपने नए गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रखा है. इंडिया का पूरा नाम होगा- इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस। बैठक में शामिल विपक्षी दलों के कई नेताओं ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. खैर, इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया ही रखने का मन क्या बनाया है? इसके पीछे विपक्ष की क्या सियासत है?
गठबंधन के नाम की चर्चा कैसे शुरू हुई?

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विपक्षी दलों की बैठक बेंगलुरु में हुई। नाम पर चर्चा के बाद एक-एक करके दलों के नेताओं और पार्टियों के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्विट किए जाने लगे। लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने लिखा, ‘विपक्षी दलों का गठबंधन भारत का प्रतिबिंब है!’
I – Indian
N – National
D – Developmental
I – Inclusive
A – Alliance

विपक्ष ने गठबंधन के नाम के लिए इंडिया ही क्यों चुना?
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो ‘नाम की सियासत इन दिनों हावी है। खासतौर पर अंग्रेजी के शब्दों का अलग-अलग मतलब निकालने का भी हो गया है। भाजपा इस काम में आगे थी. भाजपा ने विपक्ष से जुड़ी तमाम पार्टियों के नामों का जिक्र करके उसका अलग मतलब निकाला। ये चर्चा में भी रहा. यही कारण है कि इस बार विपक्ष ने इस मामले में बड़ा दांव खेल दिया है’ इंडिया नाम रखने से विपक्ष को सबसे बड़ा फायदा यही होगा कि भाजपा उसका मजाक या तंज नहीं कस पाएगी. देश के नाम पर गठबंधन का नाम पड़ने से भाजपा के लिए ये बड़ी चुनौती होगी. भाजपा खुद को राष्ट्रवादी पार्टी कहती है। ऐसे में अगर इंडिया के नाम का कोई गलत मतलब भाजपा की तरफ से निकाला जाता है तो जनता के बीच इसका संदेश भी काफी गलत जाएगा.

राजनीति के जानकार इसे विपक्षी दलों के द्वारा काफी सोच-विचार कर लिया गया फैसला बताया है. ऐसा होने से अब गठबंधन के नाम पर भाजपा और एनडीए के नेताओं की तरफ से हमले नहीं होंगे। हां, व्यक्तिगत तौर पर जरूर भाजपा व एनडीए में शामिल अन्य दलों के नेता विपक्ष पर हमलावर हो सकते हैं.

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