वक्फ बोर्ड मामले को लेकर अब बड़ा राजनीतिक घमासान मच गया है। इस मामले पर अपने अपने बयानों के माध्यम से एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया आमने सामने आ गए हैं। दोनो एक दूसरे का नाम तो नहीं ले रहे हैं, परंतु उनके बयानों में राजनीतिक टकराहट साफ दिखाई पद रही है। ओवैसी के बयान में जहां हमेशा की तरह भड़काऊ इस्लामिक अंदाज दिख रहा है, वहीं रघुराज प्रताप सिंह “राजा भैया” अपने बयान में प्रखर राष्ट्रवाद का प्रतिनिधित्व करते नजर आ रहे हैं.
ओवैसी ने अपनी एक सभा में कुछ समय पूर्व बड़ा बयान दिया-कि “यूपी में वक्फ बोर्ड के पास 1 लाख 21 हजार प्रॉपर्टी हैं, जिसमें 1 लाख 12 हजार के पास कागज ही नहीं हैं” इस बयान में ओवैसी ने शंका जाहिर की है कि यदि वक्फ संपत्तियों पर नया संशोधित कानून आता है, तो, यह 1 लाख 12 हजार संपत्तियां वक्फ की नहीं रह जाएंगी.
वहीं, दूसरी ओर गुजरात के राजकोट की अपनी एक सभा में राजा भैया ने कहा, कि, दुनिया में भारत को छोड़कर कहीं वक्फ बोर्ड नहीं है। किसी मुस्लिम देश में वक्फ बोर्ड नहीं है केवल हमारे यहां ही यह बना हुआ है। आगे राजा भैया ने कांग्रेस को भी घेरा, उन्होंने कहा, 2013 में कांग्रेस पार्टी ने वक्फ बोर्ड को इतनी शक्ति दे दी कि, वक्फ बोर्ड का मामला अब केवल वक्फ की अदालत ही सुनेगी। जिले की अदालत, उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय कोई इसे नहीं सुनेगा यह लिखितमे है। अगर आपकी कोई संपत्ति वक्फ ने अपनी बता दी, तो फिर वक्फ की ही अदालत में जाइए। अगर वहां सिद्ध नहीं हो हुआ तो आपका घर, जमीन या गांव वक्फ का हो जाएगा.
आगे राजा भैया ने कहा कि, आज अगर हमारे नेता इस गलती पर निर्णय ले रहे हैं, तो उन्हे प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी और रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के परस्पर टकराहट वाले बड़े बयानों से सियासी घमासान मच चुका है। और इस मुद्दे पर सियासी लड़ाई आगे और गरमाने की भी पूरी संभावना है। देखने वाली बात यह होगी कि इस घमासान पर अब देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी का रुख क्या होगा ?